प्रजनन क्षमता केवल उम्र या अनुवांशिकी पर निर्भर नहीं करती, बल्कि जीवनशैली के चुनाव भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वस्थ जीवनशैली से गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
आहार एवं पोषण: एंटीऑक्सीडेंट, साबुत अनाज, फल और सब्ज़ियों से भरपूर संतुलित आहार हार्मोन संतुलन बनाए रखता है और अंडाणु व शुक्राणु की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
वज़न नियंत्रण: अधिक या कम वजन से ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है। संतुलित बीएमआई से हार्मोनल संतुलन और मासिक धर्म नियमित रहता है।
व्यायाम और शारीरिक गतिविधि: नियमित मध्यम व्यायाम हार्मोन को नियंत्रित करने, मूड सुधारने और तनाव कम करने में सहायक है। ज़रूरत से ज़्यादा व्यायाम हानिकारक हो सकता है।
तनाव और नींद: लंबे समय तक तनाव हार्मोन असंतुलन उत्पन्न कर सकता है। रोज़ाना 7–8 घंटे की अच्छी नींद और ध्यान या योग जैसी गतिविधियाँ लाभकारी होती हैं।
धूम्रपान और शराब से बचें: ये दोनों ही प्रजनन क्षमता को कम कर सकते हैं। इन्हें छोड़ने से गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं।
एक स्वस्थ जीवनशैली प्रजनन स्वास्थ्य की कुंजी है। इससे न केवल प्राकृतिक गर्भधारण संभव है, बल्कि IVF जैसी तकनीकों की सफलता दर भी बढ़ सकती है।